ट्रेडिंग क्या है और इसके प्रकार (What is Trading and its Types)

ट्रेडिंग का मतलब होता है किसी भी वास्तु या सेवा को कम दाम में खरीदना और फिर उस वास्तु या सेवा का दाम बढ़ जाने पर उसे बेच देना . 

ट्रेडिंग का मुख्य मकसद किसी भी वास्तु या सेवा को खरीद कर कम समय में लाभ कमाना होता है . 

यही कारण है कि ट्रेडिंग शेयर मार्किट में सबसे ज्यादा कि जाती है और लोग हर रोज शेयर पर ट्रेडिंग करके हजारों और लाखों रूपये कमा लेते है . 

तो अगर आप शेयर पर ट्रेडिंग करके पैसे कमाना चाहते है तो सबसे पहले आपको शेयर मार्किट ट्रेडिंग को समझना होगा चलिए जानते है शेयर मार्किट ट्रेडिंग क्या है ?

शेयर मार्किट ट्रेडिंग, शेयर पर होने वाली ट्रेडिंग को कहते है. जब सुबह 9:15 AM पर शेयर मार्किट खुलती है तब ट्रेडर कम दाम में शेयर को खरीद लेते है . 

और दोपहर के 3:30 PM के पहले शेयर को बेच देते है . क्योंकि शेयर मार्किट सुबह 9:15 AM पर खुलती है और 3:30 PM पर बंद हो जाती है . 

इस बीच ट्रेडर अपने ख़रीदे हुए शेयर पर अनुमानित मुनाफे को देख कर शेयर को बेच के मुनाफा कमा लेते है . 

लेकिन शेयर मार्किट में ट्रेडिंग अलग-अलग प्रकार कि होती है और ट्रेडर अपनी सुविधा और जोखिम के अनुसार ट्रेडिंग करते है . 

ट्रेडिंग कितने प्रकार कि होती है ?

 

शेयर मार्किट में मुख्य रूप से 3 प्रकार कि ट्रेडिंग होती है और ट्रेडर मुनाफा कमाने के लिए अपनी सुविधा अनुसार ट्रेडिंग करते है . 

ट्रेडिंग के प्रकार

  • Intraday Trading 
  • Scalping Trading
  • Swing Trading 

Intraday ट्रेडिंग क्या है ?

शेयर मार्किट के खुलने से लेकर उसके बंद होने के पहले शेयर को खरीद कर बेचने को Intraday Trading कहते है . 

इसमें ट्रेडर 9:15 AM से 3:30 PM के बीच शेयर को खरीदता और बेचता है

Scalping ट्रेडिंग क्या है ?

सकैलपिंग ट्रेडिंग भी शेयर मार्किट के खुलने से उसके बंद होने के बीच में कि जाती है. लेकिन Scalping Trading में पुरे दिन ट्रेडिंग नहीं कि जाती . 

यह ट्रेडिंग ज्यादा से ज्यादा पैसों के साथ कुछ ही मिनट या घंटे के लिए कि जाती है. जैसे 9:15 AM पर शेयर को खरीद कर 10:05 AM पर ही शेयर बेच कर मुनाफा कमा लेना

Swing ट्रेडिंग क्या है?

Swing Trading बाकि दोनों सकैलपिंग

ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग से अलग है यह कुछ दिन और हफ़्तों के लिए की जाती है . 

लेकिन इसमें भी शेयर को खरीदना और बेचना शेयर मार्किट के खुलने और बंद होने के बीच ही किया जाता है . 

स्विंग ट्रेडर पहले शेयर मार्किट में कम दाम पर शेयर खरीद लेते है और फिर उन्हें hold करके रख लेते है. उसके बाद जब कुछ दिन या हफ्ते में उनके शेयर कि price ज्यादा हो जाती है. तो उन्हें बेच कर मुनाफा कमा लेते है . 

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)

  •  स्विंग ट्रेडिंग में डिलीवरी लेकर कम समयवाले रेसिस्टन्स और सपोर्ट को ध्यान में रखकर ट्रेडिंग करना पड़ता है।
  • उदाहरण  दिर्घ समय वाला ट्रेन्ड नीचे होने पर भी पुलबॅक दर्शाने वाले शेअर कम समय के लिए याने की 2-4 दिनों में बढ़त की जो संभावना होती है। उससे डिलीवरी लेकर बढ़ते हुए रेसिस्टन्स के नजदीक मुनाफा बुक  किया जा सकता है। शेअर्स की चाल में कम समय में ऐसा स्विंग आया हुआ  नज़र आता है। जिसका फायदा लिया जा सकता है।

 

     नोट (Note)

        जो लोग शेअर बाज़ार के नियमित संपर्क में है और भाव देखने की सुविधा उनके पास  पास होती है उनको ही ईन्ट्राडे   अथवा स्विंग ट्रेडिंग करने का प्रयास करना चाहिए। जो हमेशा घुमते रहते है या बाहर होते है और उनके पास भाव देखने की    सुविधा उपलब्ध नहीं है उनको इस प्रकार की पोजिशन लेने से दूर रहना चाहिए।

 

बी.टी.एस.टी. (B.T.S.T)

  • “बाय टुडे - सेल टुमारो", याने की आज शेअर्स की खरीदी कीजिए और दुसरे दिन बेच दीजिए। 
  •  अगर आपकी गिनती है कि आनेवाले समय में बाजार या कोई शेअर ऊपर ही खुलेगा तब बी.टी.एस.टी. ट्रेडिंग करने का प्रयास कीजिए।
  •  आपके पास किसी कंपनी के 100 शेअर्स है और किसी भी दिन बाज़ार अच्छे अंको से बंद हुआ और दूसरे  दिन भी बाज़ार अच्छा खुलने के आसार हो तो उतनी ही संख्या में और शेअर्स खरीद के दुसरे दिन बेच सकते है। दुसरे दिन शेअर्स का भाव अपेक्षा की तरह ऊपर खुला तो जो  अधिक शेअर्स आपने खरीदे है वह बेच दीजिए। ऐसा करने का कारण यह है कि जिस संख्या में खाते में शेअर्स जमा थे वह वैसे ही रहते है और जो  ज्यादा शेअर्स है उन पर फायदा मिलता है।

 

खाते में शेअर्स न हो तो?

        अनेक ब्रोकर खाते में शेअर्स न होने पर भी बी.टी.एस.टी. करने देते है। इसमें लोग शेअर बाजार बंद होने से पहले अच्छे लगे वह और दूसरे  दिन भी ऊपर खुलने  की गिनतीवाले शेअर्स खाते में शेअर्स न होने पर भी बाज़ार बंद होने से पहले शेअर्स को खरीद के दुसरे दिन वह बेच सकते है। आपका ब्रोकर अगर इस प्रकार की सुविधा देता हो तो उसकी पूर्ती करने के बाद ही इस प्रकार की पोजिशन लीजिए

 

नोट (Note)

बी.टी.एस.टी. तभी करना चाहिए जब दुसरे दिन पहले से ही आपके खाते में जमा मूल शेअर्स आपको बेचने नहीं होते। क्योंकि आपको जो ज्यादा शेअर्स बेचने होते है वह दुसरे दिन बेच दीजिए इस से खाते में जो मूल शेअर्स होते है उनका पे-ईन पहले होता है और बाद में जो ज्यादा के शेअर्स खरीदे थे उनका पे-आऊट आपको बाद में मिलता है। इसलिए बी.टी.एस.टी. करने से पहले ही इस बात पर ध्यान दीजिए।

उदा. आपके पास किसी कंपनी के 250 शेअर्स है। वह आपको दुसरे दिन बेचने हो तो आपको उस दिन बी.टी.एस.टी. करने से दूर रहना चाहिए। क्योंकि अगर आपने दूसरे  250 शेअर्स खरीदे तो आप दुसरे दिन सिर्फ 250 शेअर्स ही बेच सकते है, 500 नहीं। इसलिए यह बात ध्यान में रखकर पहले गिनती करने के बाद ही पोजिशन लिजिए।

 

एस.टी.बी.टी. (S.T.B.T)

एस.टी.बी.टी. याने की "सेल-टडे-बाय-टमारो"। आज बेचिए और कल खरीदिये । यह एक ऐसा विकल्प है कि जिसमें बाज़ार घट रहा हो और दुसर दिन आपके पास शेअर्स है और आपको घाटा होगा ऐसा लगता हो तो  उन्हें उस दिन बेचकर दूसरे  दिन कम भाव में लेने की गिनती की जा सकती है। 

उदा. आपके पास किसी कंपनी के 500 शेअर्स है। आपने वह 500 शेयर्स  उसी दिन बेच दिए और दसरे दिन आपके अनुसार गिरावट आने के बाद वह खरीदने से आपको मुनाफा होता है।

ऐसा तभी किया जा सकता है जब आई हुई गिरावट अल्प समय के लिए  होती है। गिरावट आगे बढ़ने की संभावना हो तो वह बेच दीजिये। उस वक्त एस.टी.बी.टी. नहीं करना चाहिए। ऐसा करने के लिए आपके पास  पहले से ही अपने खाते में शेअर्स होना जरूरी है।

 

आर्बिट्रेज (Arbitrage)

यह एक ऐसा विकल्प है जिसमें जोखिम ना के समान है। इसमें किसी शेअर्स में दोनों एक्सचेन्ज में जो भाव होता है उसके बिच के फर्क का फायदा लिया जाता है। जोखिम इतना नहीं होता कि आपको कोई गिनती या अनुमान निकालना पड़े। पर भाव में दिखनेवाले निश्चित फर्क का फायदा लेना होता है। पर सभी लोग ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि आर्बिट्रेज के लिए खाते में शेअर्स और हाथ में रूपए दोनों ही होने चाहिए। कई लोग कुछ  प्रतिशत के हिसाब से शेअर्स और रूपए आर्बिटेज के लिए देते है। इसके लिए जागरूकता और तेज होने  की आवश्यकता होती है। 

 आर्बिट्रेज करने के लिए सतेज बुद्धी और ध्यान क्षमता होना जरूरी है।

नोट (Note)

इन सबके लिए एक उत्तम विकल्प है कि आवश्यक शेअर्स और रूपए हाथ में हो और टर्मिनल के सामने बैठने के लिए तैयार हो ऐसे  लोग ही इसका अच्छा फायदा ले सकते है। इसके लिए चील की तरह। द्रष्टी और तेज  होनी चाहिए और थोडे ही अभ्यास के बाद इसमें  महारत हासिल करना शक्य होता है। 

 

हेजिंग (Hedging)

बाज़ार जब गिरावट दर्शाता है तब अपने पोर्टफोलीओ में जमा शेअस के  भाव में होनेवाली गिरावट के सामने सुरक्षा पाने के लिए आप्शन और फ्यूचर जैसे विकल्पों की मदद से पोजीशन ली जाती है उसे हेजिंग कहा जाता है। 

यह एक प्रकार के इंसोरेंस के समान है। जो ख़राब माहौल में आपके प्रोटफोलिओ को सुरछित रखता है।  हम माहौल को ख़राब होने से नहीं रोक सकते पैर हेजिंग की मदत से हम होने वाले नकरात्मक परिणाम को अवश्य कम किया जा सकता है। 

 

नोट (Note)

हेजिंग से जिस प्रकार जोखिम कम होता है वैसे ही उसे समय के अनुसार बदला  नहीं गया तो होने वाला फायदा भी अपने हाथ से निकलकर जा सकता है। इसलिए ध्यान में रखना चाहिए कि हेजिंग पैसा कमाने का साधन नहीं है। अगर ठिक तरह से अमल हुआ तो उस शेअर्स में निवेश  की गई रकम को आप सुरक्षित रख सकते है। कई अनुभवी पोर्टफोलीओ मॅनेजर हेजिंग का नियमित उपयोग करते हए नज़र आते है। जिससे विपरीत परिस्थिति में उनका किया हुआ निवेश सुरक्षित होता है।


 

मार्जिन ट्रेडिंग (Margin Trading)

  • यह एक ऐसा विकल्प है जिस में आपके खाते में जमा शेअर्स पर आपको ज्यादा मार्जिन मिलती है जिसकी मदद से आप ज्यादा शेअर्स की डिलीवरी लेकर काम कर सकते है। 
  •  फ्युचर और इसमें फर्क यह है कि फ्युचर में असीमित  नुकसान हो सकता पर मार्जिन टेडिंग से किए हुए  व्यवहार में खाते में जितना माल है उतना ही नुकसान होने की संभावना होती है। 
  • यह सुरक्षित विकल्प है ऐसा समझने की भूल मत कीजिए। अगर आपको फ्यूचर  जितना बडा नकसान नहीं हुआ तो भी मार्जिन से जो अधिक के शेयर लिए होते  है वह आपके निवेश को जल्दी ही साफ कर सकता है।
  • इसलिए ढीक समय पर स्टॉपलॉस और प्रॉफिट बुकिंग करना जरूरी है। अगर  उपयोग कर सके तो कम रकम में अच्छी कमाई कराना इस से संभव हो सकता है।

 

नोट (Note)

शेअर बाज़ार में उपलब्ध विकल्प बुरे नहीं होते पर उन विकल्पों का ढीक तरह से उपयोग नहीं किया गया तो वह हानिकारक हो सकते है। इसलिए  आगे बढ़ने से पहले स्वयं की उम्र, आमदनी आदि इनकम सोर्स को समय के साथ  स्वयं योग्य विकल्प का चुनाव करके आगे बढ़ना चाहिए। एक ही समय चारों दिशा में दौड़ने से कुछ भी हाथ नहीं लगता। स्वयं का स्पष्ट रखकर अनुकूल विकल्प के अनुसार चलने का प्रयास करना चाहिए।

 

 डिविडेंड  के रूप में प्राप्त होने वाली आय (Income from Dividend)

  •  बाज़ार में अच्छी कंपनी के शेअर्स में बहुत ही अच्छा डिविडेंड मिलता है। जो वार्षिक योजना के भाव में बढ़ोतरी के साथ अपने निवेश को भी बढ़ाता है।
  •  यह एक ऐसा विकल्प है जिसमें से लोगों को नियमित पूंजी  मिल सके ऐसा आयोजन किया जाता है। ऐसे कई डिफेन्सिव शेअर्स है जिनमें लम्बे  समय में पूंजी में बढ़ोतरी होती ही हैं और साथ ही नियमित डिविडेंड के रूप में रकम भी मिलती है।
  • वह लोग जो इस प्रकार का आयोजन करना चाहते है कि उन्हे लम्बे  समय वाले निवेश का लाभ तो मिलना ही चाहिए पर कम पर कम समय के लिए कमाई भी  मिलनी चाहिए इसलिए लोग इस प्रकार का अच्छा डिविडेंड देने वाले  शेअर्स अपने पोर्टफोलीओ में रखते है।


 

नोट (Note)

मैंने पहले ही बताया है और कई बार बताना चाहूंगा कि आपका स्वयं का व्यू(VIEW)  क्या है, टारगेट  क्या है वह पहले निश्चित कीजिये और उसके बाद ही  इस प्रकार के पोर्टफोलीओ का निर्माण कीजिये। 

 


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