Option Trading क्या हैं:-

आपको नाम से ही पता लग गया होगा Option का मतलब विकल्प। उदाहरण के लिए- मान लीजिये आप एक कंपनी का 1000 शेयर 5000 रुपये प्रीमियम देकर 1 महीने बाद का 100 रुपये में खरीदने का Option लेते हो। ऐसे में उस कंपनी का शेयर 1 महीने बाद 70 हो गया तब आपके पास विकल्प (Option) रहेगा उस शेयर को नुकसान में ना खरीदने का।

ऐसे में आपका प्रीमियम का पैसा डूब जायेगा। आप्शन ट्रेडिंग में नुकसान आपका उतना ही है जितना पैसा आपने प्रीमियम लेते समय दिया था। तो ऐसे में नुकसान कम से कम करने के लिए Option का प्रयोग होता हैं।

  • कॉल खरीदने वाले को कोई भी माल (शेअर्स) का किसी भी समय पर निश्चित किए भाव से खरीदने का बंधन मुक्त अधिकार देता है। जब तेजी होती है तब कॉल की खरीदी की जाती है। 
  • पुट खरीदनेवाले को किई भी माल (शेअर्स) की किसी भी समय पर निश्चित किए भाव से बेचने का बंधनमुक्त अधिकार देता है। बाज़ार में मंदी होती है तब पुट की खरीदी की जाती है।

ऑप्शन की शब्दावली (Options Terminology)

  • अमरिकन ऑप्शन (American Option): इस ऑप्शन को एक्सपायरी से पहले किसी भी समय पर एक्सरसाईज (BUY SELL) किया जा सकता है।
  • (European Option): इस ऑप्शन को उसके एक्सपायरी पर ही एक्सरसाईज (BUY SELL)किया जा सकता है।

 

  • स्ट्राईक प्राईज / एक्सरसाईज भाव (Strike Price / Exercise Price): इस भाव पर ऑप्शन को एक्सरसाईज किया जाता है।

 

  • एक्सपायरेशन डेट (Expiration Date): यह वह तारीख होती है  जिस तारीख को ऑप्शन एक्सपायर होता है।
  • एक्सरसाईज डेट (Exercise Date): इस तारीख को ऑप्शन धारक  द्वारा ऑप्शन को एक्सरसाईज किया जाता है।
  • ऑप्शन प्रीमियम (Option Premium): ऑप्शन खरीदनेवाला ऑप्शन बेचनेवाले के पास से जिस भाव पर खरीदी करता है उसे ऑप प्रीमियम कहा जाता है।

ऑप्शन की खरीदी और फ्युचर की खरीदी इन दोनों में यह फर्क है कि ऑप्शन खरीदने वाले का नुकसान सीमित  होता है और फायदा असीमित  होता है। पर फ्यूचर में इसके विपरीत होता है। इसलिए जिन्हें कम जोखिम लेकर ट्रेडिंग करना है वह ऑप्शन खरीद कर ट्रेडिंग कर सकते है।

 

उदाहरण (Example)

समझ लिजिए की किसी को HDFC BANK  में रू. 1500 के भाव से तेजी दिखती है और उसका टार्गेट रू. 1550  पर जाने की संभावना लगती है। वह व्यक्ति आउट -द-मनी कॉल खरीद सकते है। इसका अर्थ ऐसा होता है  कि वह रू. 1500 के स्ट्राईक भाव से कॉल खरीदते है उस समय उस पर जो  प्रीमियम है वह भी भरते है, जो रू. 75 है ऐसा समझ लीजिए। अब अगर भाव सच में रू.1550 के ऊपर गया तो प्रीमियम के भाव में जल्दी ही बढ़त। होती है।इसका आधार यह है कि आपने महीने  के किस समयकाल में पोजिशन ली है। साथ ही भाव में बढ़त होने के लिए कितने दिन लगते है इस पर निर्धारीत होता है। ऑप्शन का समीकरण जटिल होता है जिसमें समय के घटाव को भी गिनती में लिया जाता है। जिसके आधार पर प्रीमियम के भाव में कितनी बढ़त होगी इसकी गिनती की जा सकती है।

 

उदाहरण  समय का परिबल यह प्रीमियम के भाव पर विपरीत परिणाम करता है। अगर तय किए समय में HDFC BANK  के भाव में बढ़त नहीं हुई तो उस समय में प्रीमियम का भाव गिरने लगता है। अगर HDFC BANK के भाव में गिरावट नहीं हुई और जैसे के तैसा रहने लगा तो भी प्रीमियम का भाव गिरने लगता है। इसलिए  किसी को ऑप्शन के विषय में गिनती पूर्वक ट्रेडिंग करने की कला और। अनभव होना आवश्यक है। नुकसान होन का संभावना भरे हए प्रीमियम तक ही सीमित होता है।

 

उदाहरण आपने रू. 75 का प्रीमियम भरा है और 550 का लॉट लिया है तो रू. 41,250 होते है। अगर HDFC BANK  रू. 200 गिरकर बंद हआ तो ऑप्शन संपूर्ण मूल्य गवाँकर अर्थात ZERO  पर एक्सपायर होता है और अधिकतम नुकसान रू. 41,250 होता है।

अगर आपने HDFC BANK का फ्युचर खरीदा होता तो आपको होनेवाला नुकसान रू. 110,000 होता है। पर ऑप्शन के विषय में अधिकतम नुकसान यह जितना प्रीमियम भरा है उतना ही होता है।

परंतु सीमित  नुकसान ही होगा ऐसा मानकर लोग गिनती किए बिना ही ऑप्शन का ट्रेडिंग करते हुए नज़र आते है और ज्यादातर लोग स्वयं प्रीमियम का रकम गवाँकर बैठते है। नुकसान ज्यादा हो या सीमित , वह आखिर नुकसान ही होता है। इसलिए आपका ऐसा होना चाहिए कि जो भी पाजिशन ले वह फायदा होने की गिनती से ही लेनी चाहिए। साथ ही इस भ्रम म नहीं रहना चाहिए कि सीमित नुकसान  होगा इसलिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं।

 

ऑप्शन के फायदे (Advantages of Option)

  • अधिक लिवरेज और कम रकम का निवेश करने की जरूरत होती हैं।
  • शुरूआत में अधिकतम नुकसान  कितना होगा इसकी जानकारी होना।
  •  आप्शन के खरीदारी में ज्यादा मुनाफा  और सीमित  जोखिम होता है। 
  • स्वयं का पोर्टफोलीओ ऑप्शन की मदद से सुरक्षित रख सकते है।

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