फ्युचर (Future)

फ्युचर का ट्रेडिंग दो पक्षों के बिच के समझौते से होता है या वह जो भी माल भविष्य के किसी एक निश्चित समय एक निश्चित भाव से खरीदा जाता है। फ्यचर्स का कॉन्ट्रॅक्ट विशिष्ट प्रकार के फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट होता है, जिसमें फ्यचर्स कॉन्टॅक्ट एक्सचेन्ज में ट्रेडिंग होने पर स्टॅन्डर्ड कॉन्टॅक्ट कहके गिना जाता है।


फ्यूचर की शब्दावली (Futures Terminology)

 

लॉट साईज (Lot Size)

हर फ्युचर्स कॉन्ट्रैक्ट की एक निश्चित लॉट साईज होती है।

उदाहरण  HDFCBANK की लॉट साईज फिलहाल 550 है। इसका अर्थ यह होता है। कि आप HDFC BANK का एक लॉट लेते है तो आपने HDFCBANK के 500 शेअर्स खरीद लिए ऐसा होता है। किसी भी समय तीन महिनों के कॉन्ट्रॅक्ट ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होते है। उदाहरण  चाल महिना जनवरी हो तो जनवरी, फरवरी और मार्च  ऐसे तीन महिनों के फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होते थे।

एक्सपायरी (Expiry)

हर फ्यूचर्स का लॉट हर महिने के आखरी गुरूवार को एक्सपायर होता है। इसलिए अगर इस दिन  से पहले ट्रेडिंग बराबर (स्क्वे अर ऑफ) नहीं किया तो उनका ट्रेडिंग बाजार बंद होने से पहले अपने आप ही स्क्वेअर ऑफ हो जाता है।  

 

मार्जिन (Margins)

फ्युचर्स की खरीदारी करने के लिए शुरूआत में मार्जिन देना पड़ता है। बाज़ार में इस मार्जिन का प्रमाण 10 से 24% हो सकता  है। साथ ही ज्यादा वॉलीटेलिटी से  बाज़ार में मार्जिन का प्रमाण बढ़ भी सकता है।

 

मार्क-टु-मार्केट (Mark to Market)

एक बार आपने फ्युचर्स की खरीदारी करने के बाद आपके खरीदी भाव और बंद  भाव के बीच के फर्क की मदद से मार्क-टु-मार्केट की गिनती की जाती है। यह फर्क सकारात्मक हुआ तो वह आपके खाते में जमा हो जाता है। अगर वह फर्क नकारात्मक हुआ तो उस फर्क की रकम आपको दुसरे दिन भरनी पड़ती है। 

पोजिशन स्क्वे अर ऑफ होने के बाद अगर आपके खरीदी और बंद भाव के बीच का फर्क सकारात्मक हुआ तो आपको मार्जिन और फायदे की रकम मिलती है। पर यह फर्क नकारात्मक हुआ और आप समय के अनुसार मार्क-टूमार्केट की रकम की पूर्ती की तो आपको सिर्फ मार्जिन बाद में मिलता है।

अगर आप मार्क-टु-मार्केट की पूर्ती करने में असफल हुए तो आपके नुकसान की रकम आपके मार्जिन की रकम में से ली जाती है और बाकी की रकम आपको दी जाती है।

 

फ्युचर कॉन्ट्रॅक्ट (Futures Contract)

आजकल ज्यादातर शेअर्स. कमोडिटी और  इन्डेक्स में फ्यूचर का ट्रेडिंग  किया जा सकता है।

फ्युचर प्रीमीयम में (Future in Premium)

फ्युचर स्पॉट भाव के ऊपर हो तो फ्युचर प्रीमियम में है ऐसा कहा जाता है।

फ्युचर डिस्काऊंन्ट में (Future in Discounts)

फ्यूचर स्पॉट भाव के नीचे हो तो वह डिस्काऊंन्ट में है  ऐसा कहा जाता है। तेजी के समय ज्यादातर  फ्युचर प्रीमियम में हो सकते है और मंदी के समय में वह स्पॉट भाव के डिस्काऊंन्ट में हो सकते है।

 

फ्यूचर्स में कब ट्रेड करें? (When to Trade in Futures)

अगर आपकी गिनती है कि HDFCBANK इस महिने में रू. 1500 से ऊपर जा सकता है और आपको उसका फायदा लेना  हो तो उसके 100 या 150 शेअर्स खरीदने की गिनती कर सकते है।

 

साधारण रूप से यह फायदा लेने के लिए आपको HDFC BANK के शेअर्स की डिलीवरी लेनी होगी। अब अगर HDFC BANK का भाव रू. 1600 होगा और आपने 550 शेअर्स खरीदे हो तो आपको रू. 8.25 लाख देकर डिलीवरी लेनी होगी। हम ऐसा समझ लेते है कि HDFC BANK  का एक लॉट 550 का है। और मार्जिन 10% भरना है तो यह पोजिशन लेने के लिए आपको रू. 82,500 का निवेश करना होगा।

 

अब अगर HDFC BANK आपकी सोच की तरह रू. 1500 से 100 बढ़ा तो आपको रू. 55,000 का फायदा होता है। प्रतिशत की दृष्टी से देखा जाए तो प्रारंभिक निवेश पर आपको 7% फायदा मिला ऐसा कहा जा सकता है। अगर आप डिलीवरी लेते हो तो आपको रू. 825000 के निवेश पर। रू. 55,000 का फायदा होता। इसलिए  कहा जाता है कि फ्यूचर  के टेडिंग में हमें अधिक फायदा मिलने की संभावना होती है।

 

नोट (Note)

आपको फ्युचर के ट्रेडिंग ज्यादा  फायदा और ज्यादा  नुकसान दोनो में  हो सकता है। इसके लिए फ्यूचर का ट्रेडिंग निश्चित स्टॉपलॉस के साथ ही  करना चाहिए।

 

फ्युचर की खरीदी कौन कर सकते है (Who can trade in Futures)?

यह एक गलतफहमी है कि जो लोग जोखिम उठा सकते है उन लोगों को फ्यूचर का ट्रेडिंग करना चाहिए और अन्य लोगों को उस से दूर रहना चाहि यहाँ पर बात सिर्फ जोखिम की नहीं, पर दुसरे कई परिबल होते है कि समझना जरूरी है।

यह जोखिम भरा विकल्प आवश्य है, क्योंकि घाटा होने की संभावना बेहिसाब होती है।

फ्यूचर  में एक निश्चित समय के लिए पोजिशन लेनी है। पर इस समय में हाथ  में पर्याप्त मार्जिन और मार्क-टु-मार्केट मार्जिन होने वाले लोगों को घटा सहना पड़ता है। इसके लिए सभी बातो  को ध्यान में लेकर ही आवश्यक मार्जिन और मार्क-टु-मार्केट की रकम हाथ में रखकर ही ट्रेडिंग करनी चाहिए।

          फ्युचर के बाज़ार में किसे प्रवेश नहीं करना चाहिए (Who Should not Trade in Futures)?

जिनके पास आवश्यक मार्क-टु-मार्केट मार्जिन की रकम नहीं होती उन्होने फ्युचर के बाज़ार में प्रवेश नहीं करना चाहिए। ऐसे ज्यादातर लोगों को नुकसान ही सहना पड़ता है और कईबार यह नुकसान बहुत ही बड़ा हो सकता है।

जिन लोगों में अनुशासन नहीं है, गिनती पूर्वक ट्रेडिंग करने की आदत नहीं है और नियमों का पालन करने की आदत नहीं है ऐसे लोगों को फ्युचर के बाज़ार से दूर ही रहना चाहिए।

हर किसी को स्टॉपलॉस और ट्रेलिंग स्टॉपलॉस के तरीके के अनुसार चलना। पड़ता है जिस से वह अच्छी कमाई कर सकते है। जिन्हें इसकी जानकारी और आदत नहीं होती उन्हे फ्युचर के बाज़ार से दूर रहना चाहिए।

शेयर बाज़ार के अच्छे  जानकार सच कहते है कि फ्युचर ट्रेडिंग  सामुहिक आर्थिक  बर्बादी  का एक साधन है

यह एक सत्य है कि  ज्यादातर लोग ऐसे ईन्स्टूमेन्ट का ट्रेडिंग करने के लिए अनुभवी नहीं होते और अधूरी जानकारी होने के कारण वह नुकसान के बड़े गड्ढे में गिरते हुए नज़र आते है, जिससे आपकी सपूर्ण पूंजी आप गवाँ सकते है  ऐसा नहीं अधिकतम नुकसान मात्र आपको होता है। जिस से स्वयं की कमाई बेचने की नौबत भी आप पर आ सकती है।

इसलिए पहले से ही एक अच्छा  निवेशक और ट्रेडर इन दोनों से फ्यूचर  के बाजार की जानकारी कर लिजिए। यह भी एक वास्तविकता है कि जिन्होने आवश्यक कला हासिल की है वह फ्युचर का ट्रेडिंग करके अच्छी कमाई करते।

 


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