अब हम जानते हैं कि बाजार के एक्शन को संक्षेप में देखने का सबसे अच्छा तरीका ओपन (O), हाई (H), लो (L), और कलोज (C) है। अब हमें देखना है कि किस तरीके के चार्ट पर यह सारी सूचनाएं सबसे अच्छे तरीके से देखी जा सकती हैं। अगर चार्ट की तकनीक अच्छी नहीं है तो फिर चार्ट देखना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। किसी भी दिन के ट्रेडिंग में चार सबसे जरूरी सूचनाएं होती है OHLC . अगर हम 10 दिन के चार्ट को देखें तो हमें 40 डाटा प्वाइंट मिलते हैं यानी हर दिन के लिए चार-चार डाटा प्वाइंट। अब आप समझ गए होंगे कि अगर हमें 6 महीने के लिए यह उससे भी ज्यादा 1 साल के लिए चार्ट देखना है तो कितने ज्यादा डाटा प्वाइंट देखने होंगे।

अब तक आप अनुमान लगा चुके होंगे कि आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले चार्ट जैसे कॉलम चार्ट, पाई चार्ट, एरिया चार्ट आदि टेक्निकल एनालिसिस में काम नहीं आते। इस में से केवल एक चार्ट टेक्निकल एनालिसिस में काम आता है और वह है – लाइन चार्ट। ऐसा इसलिए होता है कि आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले चार्ट सिर्फ एक डाटा प्वाइंट दिखाते हैं जबकि टेक्निकल एनालिसिस में कम से कम 4 डाटा प्वाइंट को देखना जरूरी होता है।

    5.चार्ट पैटर्न का परिचय (Introduction to Chart Patterns)

  • रिवर्सल पैटर्न (Reversal pattern)
  • हेड एंड सोल्डर पैटर्न (Head & Shoulder Pattern)
  • इन्वर्टर हेड एंड सोल्डर पैटर्न (Inverter Head & Shoulder Pattern)
  • राइजिंग वेज & फॉलिंग वेज (Rising Wedge & Falling Wedge)
  • डबल बॉटम & डबल टॉप (Double Bottom & Double Top)
  • राउंड बॉटम  (Round bottom)

  

  •  कॉन्टीनुअशन पैटर्न  (Continuation pattern)
  • सयंमेट्रिकल ट्रैंगल (Symmetrical Triangle)
  • असेंडिंग ट्रैंगल &  डेसेंडिंग ट्रैंगल  (Ascending Triangle & Descending triangle)
  • फ्लैग (Flag)
  • रेक्टैंगल्स (Rectangles)
  • कप एंड हैंडल (Cup and Handle)
  • प्राइस चैनल्स (Price Channels)


पैटर्न बहुत से परिबल  जैसे कि खरीदी, बिक्री, तेजी और मंदी  के खिलाडियों के बिच के खिचाव और अंत में किसकी जीत होती है इसको आपके सामने चित्र के रूप में पेश करते है। इस पर से ट्रेडर और निवेशक स्वयं की पोजिशन लेते हुए नज़र आते है।चार्ट पैटर्न एनालिसिस  की मदद से कम समय और  बड़े समय के ट्रेड की   कल्पना  करना संभव होता है। उसमें उपयोग किए जाने वाला डेटा, ईन्ट्राडे, दैनिक, साप्ताहिक या मासिक हो सकता है।इसका पैटर्न  एक दिन से लेकर कई वर्षों तक विस्तारीत होते हुए नज़र आता है परंतु यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि बात जब टेक्नीकल एनालिसिस  की होती है तब हर कोई रचना या उसके परिणाम को ध्यान में लेकर उसका सही परिणाम मिल सके इतना सहज  नहीं है। कोई भी एक चार्ट अनेक विविध रचनाओं का संयोग होता है और उसके सही परिणाम के लिए लगातार अभ्यास की आवश्यकता होती है। इसके लिए छोटे से छोटी जानकारी को पकड़ने की कला, फंडामेन्टल और खास करके टेक्नीकल  एनालिसिस  की अच्छी  जानकारी और बहुत से इंडीकेटर्स  को साथ रखकर उसमें से संकेत हासिल करने की आदत जरूरी है। इसके लिए सभी परिबलों को और इंडिक्टर्स  को साथ रखकर जो संयुक्त संकेत मिलता है उसके आधार पर आपको निर्णय लेना पड़ता है।

टेक्निकल एनालिसिस  के विषय में दो प्रमख सच्ची बातें है वह यह कि भाव में ट्रेंड  दिखाई देता है और इतिहास स्वयं का पुनरावर्तन करता है। तेजी दर्शाती है कि डिमान्ड का परिबल मजबूत है। तो मंदी  दर्शाती है कि सप्लाई का परिबल मजबूत है। परंतु यह भी हकिकत है की ट्रेन्ड हमेशा के लिए स्थापित नहीं होता। जिस समय परिस्थिति में बदलाव  आता है  तब चार्ट पैटर्न  का निर्माड होते हुए नजर आता है। पैटर्न  जैसे कि चॅनेल पैटर्न ट्रेन्ड का  अभाव दर्शाता है  बाकी सभी को दो प्रकार के पैटर्न  में विभाजात किया जा सकता है।

रिवर्सल का संकेत देने वाले पैटर्न । 

कन्टीन्युएशन का संकेत देने वाले पैटर्न ।


रिवर्सल पॅटर्न (Reversal Pattern)

रिवर्सल का संकेत देने वाले पैटर्न  जब तैयार होते  है तब शेअर्स या बाजार में एका एक  बढ़त या गिरावट के बाद ट्रेन्ड रिवर्सल होने का संकेत मिलता  है। तेजी की स्थिति हो तो ऐसे पैटर्न  मंदी का संकेत देते है। उसी तरह से मंदी की स्थिति हो तो ऐसे पैटर्न  तेजी का संकेत देते है।  हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि ऐसा संकेत मिलने के बाद दुसरे परिबल को उसके साथ रखकर जब एक से ज्यादा सूचकों में भी ऐसा संकेत मिलता है और पैटर्न  द्वारा भी ऐसा संकेत मिलता हो तो तुरंत सही निर्णय लिया जा सकता है। ज्यादातर पैटर्न  का जो परिणाम पिछले चार्ट  में नज़र आया था उसका ही पुनरावर्तन होते हुए नज़र आता है। यहाँ पर हम नीचे दिए रिवर्सल रचनाओं को समझने की कोशिश करते  है

 

हेड एंड शोल्डर

राईजिंग वेज 

फॉलींग वेज 

डबल बॉटम/डबल टॉप

राउन्डेड बॉटम

 

 हेड एंड शोल्डर पैटर्न  (Head and Shoulder Pattern) 

यह एक रिवर्सल पैटर्न  है जो प्रमुखरूप से तेजी में दिखई  देता  है। एक स्तर पर बिक्री के साथ भाव में गिरावट

होकर एक  निचले स्तर पर सपोर्ट लेता है  जिसे यहाँ

पर हम नेकलाईन  कहते है। जो आप नीचे के पिक्चर में देख सकते हैं।

हेड एंड  शोल्डर पैटर्न 

  • यह हमारे बॉडी के तीन पार्ट के समान होता है जिसमे लेफ्ट राइट सोल्डर और हेड होता है
  •  भाव सुधरने से पहले फिर से सपोर्ट लेकर सुधारता है। जिससे  लेफ्ट शोल्डर का निर्माण करता है। 
  • नेकलाईन पर फिर से खरीदी शुरू होती है जो आगे के 'हाई' के ऊपर जाकर एक नया 'हाई' भाव बनाती है जिसे हम 'हेड' कहते है।
  • फिर से बिक्री के कारण भाव गिरकर नेकलाईन पर सपोर्ट लेता है।
  • नेकलाईन पर फिर से खरीदी होने पर भाव बढ़ता है। पर आगे के हाई  तक नहीं जा सकता और निचला टॉप बनाकर वहा से घुम जाता है। यह निचला टॉप बनने के बाद एक सोल्डर का बनता है जिसे  'राईट शोल्डर' कहते है।
  •  फर्क  यह होता है कि इस समय भाव गिरकर नेकलाईन पर सपोर्ट नहीं लेता  परंतु नेकलाईन को तोड़कर अधिक गिरता है जो इस पिक्चर  में दिखने वाले ब्रेकआऊट को दर्शाता है।
  •  इस तरह से यह पैटर्न   कम्पलीट होने के बाद भाव अधिक गिरते हुए नजर आता है। 
  • इस पॅटर्न में व्हॉल्यम का अधिक महत्व होता है। राइट सोल्डर तैयार होता है  तब व्हॉल्यूम अधिक होता है।
  • हेड तैयार होता है तब व्हॉल्युम कम होते हुए नज़र आता है। जो मंदी का संकेत देता है। 
  • जैसे शोल्डर बनते समय व्हॉल्युम में अधिक गिरावट नज़र आती है। जो  ऐसा दर्शाती है कि अब तेजी वाले प्लेयर्स थक  चूके हैं। उसके बाद नयी बिक्री की शुरूआत होती है और मंदीवालों की पकड़ अधिक मजबूत होती है।
  • जब पिछली नेकलाईन टुटती है तब बढ़ने वाले व्हॉल्युम के साथ गिरावट नज़र आती है।

 


इन्वर्टेड हेड एंड  शोल्डर (Inverted Head and Shoulder Pattern)

  • हेड एंड  शोल्डर पॅटर्न कई बार उल्टा भी बनता है जिसे हम ईन्वर्टेड हेड एंड  शोल्डर कहते है। 
  •  यह मंदी में तैयार होने वाले पैटर्न  है जिस पर से ऐसा कहा जा सकता है कि मंदीवाले  प्लेयर्स अब  थक चूके है। तेजी वाले खरीदने के लिए कूद पड़े है। जिस से लेफ्ट  शोल्डर की रचना तैयार होती है। पर फिर से मंदी वाले सक्रिय होते है और भाव नया लो बनाता है। जिससे राइट  शोल्डर बनता है कम व्हॉल्युम के साथ इसे हम हेड कह सकते है।
  •  अब तेजी वाले फिर से जोरदार खरीदी की शरूआत करते है और बहुत ही मजबूत पुलबँक आता है जो नेकलाईन तक चला जाता है।
  • अब नए परंतु मर्यादित सप्लाई के कारण भाव थोड़ा गिरता है और नेकलाईन पर या उसके नज़दीक सपोर्ट लेता है जो राइट  ईन्वर्टेड शोल्डर का निर्माण करता है और भाव फिर से बढ़ने लगता है। जो बहुत ही ज्यादा व्हॉल्यूम के साथ बढ़ता है और भाव नेकलाईन को पार करके तेजी आगे बढ़ती है और यह रचना पूर्ण होती है।

 


 

राइजिंग वेज (Rising Wedge)

यह पैटर्न आने वाले मंदी की हमें पूर्व सूचना देती है। 

इस पैटर्न  की शुरूआत में भाव में उतार-चढ़ाव होता। और आगे जाकर 

यह उतार-चढ़ाव सीमित होता है और मोमेन्टम काम होता जाता है तब यहाँ एक ट्रैंगल  जैसी रचना का निर्माण होता है जिसकी जिसकी दिशा ऊपर कि ओर होती है। 

नीचे दिए चित्र में दिखता है जिस  प्रकार से शेअर्स का भाव ऊपर कि दिशा में धीमी गती से सुधर कर ऊपर वाला रेसिस्टन्स देने वाले ट्रेंड लाइन पर अटक कर अंत में निचे वाली ट्रेन्ड लाईन को तोड़ता है और मंदी कि  शुरूआत होती है।

एक हकिकत आपका काम अधिक आसान करती है वह यह कि जब यह पैटर्न  पूर्णता के नज़दीक आती है तब ज्यादातर इंडीकेटर्स  ओवरबॉट होते हुए नज़र आते है। जब पिछला सपोर्ट टुटता है तब मंदी की स्थिति आगे बढ़ती है।

 

फॉलिंग वेज (Falling Wedge)

 यह एक तेजी का संकेत देने वाला पैटर्न है।  यह पॅटर्न आपको संकेत देता  है कि प्रत्येक गिरावट में बिक्री कम हो रही है और छोटे टाइम फ्रेम  में तेजी की शुरूआत हो सकती है।जब ऊपरवाला महत्व का रेजिस्टेंस क्रॉस होता है  तब तेजी  की शुरुआत  होती है। यह पैटर्न  प्रमुखरूप से तेजी में तैयार होते हुए नज़र आते  है। परन्तु  कभी  कभी वह मंदी  में भी नज़र आ सकते  हैं। मंदी में भी वह तेजी का ही इंडिकेशन देते है। 

कभी वह मंदी में भी नजर आ संकेत देती है।

पोजिशन लेने से पहले कन्फोर्मशन  लेना अच्छा  होता है। सभी इंडिकेटर्स को पहले जाँच कर खरीदी की शुरूआत करनी चाहिए।

 

डबल बॉटम (Double Bottom)

इस रचना में गिरने वाला भाव एक स्तर पर सपोर्ट लेता है और भाव फिर से थोड़ा बढ़कर फिर से उसी स्तर पर या उस स्तर के नज़दीक घुमकर सपोर्ट लेता हुआ  नज़र आता है। इस प्रकार से दोबारा जब सपोर्ट री- टेस्ट होता  है तब उस रचना को हम डबल बॉटम कह सकते हैं।  दो बॉटम बनते है तब उनके बीच गैप  कितने दिनों का होता है वह भी ध्यान में रखना चाहिए। अगर आप छोटे टाइम फ्रेम  की दृष्टी से काम कर रह हो तो ज्यादातर दो सपोर्ट के बिच में अगर 3 से 4 हफ्तों का अंतर हो तो बेस की दृष्टी से वह पैटर्न  मजबूत समझा जाता है।  उसी तरह से बड़े टाइम फ्रेम के लिए यह अंतर 3 से 5 महिनों का हो सकता है।


 

यह कोई फिक्स  नियम नहीं है और उसमें कुछ बढ़ने वाले या घर फासले के साथ भी स्पॉट लेकर उसका फायदा लिया जा सकता है। इस पैटर्न  में दुसरा बॉटम तैयार होने से पहले बिच में एक टॉप जहा से दूसरा  बॉटम टेस्ट होता है और भाव फिर से ऊपर की दिशा में बढ़ने लगता है और पहले बने हुए टॉप को भी पार करता है तब तेजी अधिक मजबूत  होती है।

 

डबल टॉप (Double Top)

इस पैटर्न  में भाव एक बार रेसिस्टन्स देकर टॉप बनाकर वह गिरावट दर्शाता है जिसका बॉटम थोड़ा ऊपर तैयार होता है और थोड़े ही समय में भाव फिर से बढ़ता है या  बढ़ते हुए नज़र आता है। पर वह पहले के टॉप के नज़दीक घुमकर रेसिस्टन्स देकर गिरने लगता है। इस कारण से ही इस रचना को हम डबल टॉप कहते है।छोटे टाइम फ्रेम  के चार्ट के अभ्यास में दो टॉप के बिच में 3 से 4 हफ्तों का अंतर अच्छा माना जाता है। बड़े टाइम फ्रेम  के चार्ट के अभ्यास में दो टॉप के बीच  3 से 5महिनों का अंतर योग्य माना जाता है।

 

बड़े टाइम फ्रेम जैसे की एक साल दो साल  में थोड़े अधिक उतार चढ़ाव देखा  जा सकता है  अभ्यास के अनुसार आवश्यक बदलाव किया जा सकता है।

इस रचना में दुसरा टॉप बनने से पहले उस गिरावट के समय  'लो' निर्माण होता है और भाव जब दुसरा टॉप बनाने के बाद गिरावट के समय  नीचे की दिशा के स्तर को तोड़ता है। अर्थात मंदी अधिक मजबूत होती है।


 

कन्टीन्युएशन पैटर्न  (Continuation Pattern)

इस प्रकार की रचना द्वारा तेजी की दिशा के शेअर्स में कुछ समय के लिए आने वाले कन्सॉलिडेशन के बाद आने वाली तेजी का इंडिकेशन  मिलता है। 

नीचे दर्शाया है उस तरह से बहुत से  रचनाओं की चर्चा यहाँ पर की है।

  • ट्रायन्गल (त्रिकोण) 
  • सिमेट्रिकल ट्रायन्गल 
  • असेंडिंग ट्रायन्गल 
  • डीसेंडिंग ट्रायन्गल
  • फ्लैग 
  • रेक्टेंगल 
  • कप एंड हैंडल

 

इस रचना का निर्माण तेजी या मंदी दोनों  में हो सकता है।यह एक  ट्रेन्ड में कन्टिन्युएशन की रचना की तरह से तैयार होती है। यह एक ट्रैंगल  पैटर्न की  रचना है जिसकी रचना के बाद ट्रेन्ड कौन सी दिशा में जाने वाला है इसका आधार आने वाले  ब्रेक आऊट या ब्रेक डाउन पैर है यह रचना पूर्ण होती है तब भाव जिस दिशा को पकड़ता है उस दिशा में ट्रेड करना होता है।

इस रचना में शेअर्स या बाजार का प्राइस एक  रेंज  में रुक  कर सिमेट्रिकल टायन्गल की रचना करते  है जो ऊपर के टॉप पर गिरावट दिखाता है और निचले सपोर्ट पर जो ऊपर की दिशा में तैयार होता है उसे जोडने वाली रेखा तैयार होते हुए नज़र आती है। एक स्तर पर व्हॉल्यम एकदम काम हो  जाता है और रेन्ज गायब हो जाती है। उसक बाद तेजी वाले या मंदीवालों की पकड़ होती है उस तरह से ब्रेक आऊट या ब्रेकडाऊन आता है जो बढ़ते हुए व्हॉल्युम के साथ आया हुआ नज़र आता है।

चित्र में दिखता है उस तरह से पॉईन्ट 2 से सेमिट्रिकल ट्रांयगल की  रचना होने की शुरूआत होती है। पॉईन्ट 1, पॉईन्ट 3 और पॉईन्ट 5 को जोड़कर टेन्डलाई तैयार होती है एक समांतर ट्रेन्डलाईन पॉईन्ट 2 से तैयार होती है जो पहले के ट्रेंड लाईन के समांतर होती है।

इस ट्रेंड लाइन की लम्बाई पॉइंट 1 से पॉइंट 5 तक आए हुए ट्रेंड लाइन  जितनी होती है। 

टार्गेट का अंदाजा उस बिंदू से लगाया जाता है जिस बिंदु के पास ट्रेंड लाइन का अंत होना है  जो पाईन्ट 2 पर से खिंची जाती है। 

असेंडिंग ट्रायन्गल (Ascending Triangle)

यह एक तेजी का संकेत देने वाली रचना है। यह रचना प्रमुखरूप से तेजी में तैयार होते हुए नज़र आती है।

 कई बार मंदी में तैयार होने पर भी यह रचना तेजी का ही संकेत देती है। इस रचना में शेअर्स को एक निश्चित स्तर पर रेसिस्टन्स आते हुए नजर आता है। परंतु यहाँ पर महत्व की बात यह है कि हर गिरावट पर सपोर्ट ऊपर HIGH   और अधिक ऊपर HIGHER HIGH होते जाता है। जो चढाव-उतार-चढ़ाव के ट्रेंड को सूचित करता है और वह तेजी की निशानी होती है। वह दर्शाती है कि इन्वेस्टर  लोग बढ़ोतरी के साथ खरीदी कर रहे है।

जब रचना पूर्णता के नज़दीक आती है तब उतार-चढ़ाव कम होते जाता है और एक स्तर पर भाव साधारण से भी अधिक वॉल्यूम से ऊपर के  रेसिस्टन्स को पार करने में सफल होता है तब खरीदी का इंडिकेशन मिलता है और तेजी आगे बढ़ते हुए नजर आती है।जब तक तेजी मंदी के इस खेल में तेजी वाले जीत नहीं जाते तब तक खरीदी से दूर रह सकते है । क्यूकि यह रचना पूरी नहीं होती तब तक भाव  एक सीमित रेन्ज में अटका हुआ होता है। एकबार भाव ऊपर  दिए चार्ट के अनुसार  ऊपर वाला या निचे   वाला ब्रेकआऊट आने के बाद फिर से  ऊपर जाता है उस तरह से पर्रल ट्रेंड लाईन पर भाव उस समय  कितना आगे बढ़ेगा इसका इंडिकेशन  लगाया  जा सकता है।

डिसेंडिंग ट्रायन्गल (Descending Triangle)

यह एक मंदी का संकेत देने वाली रचना है।

 इस रचना में एक स्तर पर शेअर्स का भाव लगातार सपोर्ट लेते हुए नज़र आता है। पर महत्व की बात यह है कि हर बढ़त यह निचला और अधिक निचला टॉप बनाता है। जो गिरने  का संकेत है।

यह रचना जब पूरी होती है तब भाव  लगातार मिलनेवाले सपोर्ट के स्तर  से बढ़नेवाले व्हॉल्युम के साथ  निचले स्तर को तोड़ता है और  बिक्री का इंडिकेशन देता है और मंदी की स्थिति आगे बढ़ते हुए नज़र आती है। 

यह रचना हर बढोतरी के साथ बिक्री का मौका आपको देती है। 

यह रचना बढ़ोतरी के साथ बिक्री करने का संकेत आपको देती है।जिस  कारण से बढोतरी के साथ बिक्री करने वालों को अच्छा फायदा होता है।ऐसे  सपोर्ट को ध्यान में लेकर खरीदी की तो बढ़ोतरी रेसिस्टन्स के एकदम  बराबर नज़दीक जाना होता है। नहीं तो आप फंस सकते है। ऊपर बताया है उस तरह से इस रचना में छोटे टाइम फ्रेम जल्दी ही फिर से  घूमने की गिनती की हो तो सपोर्ट पैर  में जी से घूमने की गिनती की हो तो सपोर्ट पर खरीदी का करनी चाहिए क्योंकि  बड़े टाइम के  लिए  खरीदी की और बढ़ोतरी के साथ बिक्री करने में चूक गए तो रचना के पूर्णता के बाद फिर से जल्दी ही भाव गिरता है

फ्लॅग (Flag)

यह एक छोटे टाइम फ्रेम  की रचना है। जिसमें भाव कुछ  समय के लिए कन्सॉलिडेट होने के बाद आगे बढ़ता है और तेजी की दिशा में नया स्तर बनाता है।

इस रचना में बड़ी बढ़ोतरी के बाद भाव कुछ समय के लिए कन्सॉलिडेट होता है जो आप ऊपर चार्ट  में देख सकते हैं। यह रचना रेक्टॅन्गल रचना के साथ समानता वाली होती है। परन्तु इसके बीच का फर्क यह है कि थोडा ऊपर की या फिर नीचे की दिशा  में झुकाव  दिखाई देता है।

 

 

अगर स्थापित ट्रेन्ड ऊपर की दिशा में हो तो फ्लॅग रचना में स्लोप नीचे की तरफ दिखाई देता है। 

अगर स्थापित ट्रेन्ड नीचे की दिशा में हो तो फ्लॅग की रचना में स्लोप ऊपर की दिशा में होता है। 

जब बढ़ते हुए व्हॉल्यम के साथ ब्रेकआऊट आता है तब इस प्रकार का कन्सॉलिडेशन  होने के बाद भाव फिर से आगे बढ़ते हुए नज़र आता है।

 

रेक्टॅनगल (Rectangle)

शेअर्स या बाज़ार निचे पिक्चर में  देखा जा सकता है उस तरह से निश्चित रेन्ज में होते है। इस रचना को जाँचकर टॉप पर बिक्री करके, फिर से बॉटम पर खरीद के इस रेन्ज का फायदा लिया जा सकता है।

अगर पिछला टॉप पहले के टॉप से नीचे बना तो सतर्क होना चाहिए क्योंकि गिरावट के समय नीचे की दिशा के ब्रेकआऊट की संभावना अधिक होती है और इस कारण से इस स्तर पर खरीदी करना जोखिम भरा होता है।

उसी तरह से पिछला बॉटम पहले वाले बॉटम से ऊपर तैयार हुआ तो आग जाकर ऊपर की दिशा के ब्रेकआऊट की संभावना अधिक होता है।


 


Copyright © 2024 Intraday Idea. All rights reserved. Powered by Intraday Idea