आप्शन ग्रीक Vega-वेगा

वेगा का कार्य बाजार में कितनी वोलेटिलिटी है उनके आधार पर आप्शन प्रीमियम में आ रहे बदलाव को दर्शाने के कार्य वेगा ग्रीक करता है.जब मार्किट में वोलेटिलिटी ज्यादा होती है तो आप्शन के प्रीमियम में भी तेज गिरावट या तेजी देखने को मिलती है. वेगा आप्शन के प्रीमियम में हो रही तेजी और गिरावट को दर्शाता है.

 

∂ – the first derivative

V – the option’s price (theoretical value)

σ – the volatility of the underlying asset


 

इंप्लाइड वोलैटिलिटी IV
इंप्लाइड वोलैटिलिटी बाजार में ट्रेडर्स  की उम्मीदों के बारे में बताता है। ये बताता है कि वोलैटिलिटी को ले कर उनकी क्या उम्मीद है। इंप्लाइड वोलैटिलिटी है जो कि करीब करीब सबके सहमति  से बनी हुई एक राय है। इंप्लाइड वोलैटिलिटी को बाजार के सभी ट्राडेरो  की एक मत से बनी हुई राय माना जा सकता है। इससे हमें पता चलता है कि किसी भी ऑप्शन के बचे हुए समय में अंडरलाइंग की कीमत में होने वाले उतार-चढ़ाव को ले कर लोगों को क्या उम्मीद है। इंप्लाइड वोलैटिलिटी का असर हमें प्रीमियम में दिखाई देता है। 

इसी वजह से  वोलैटिलिटी में IV यानी इंप्लाइड वोलैटिलिटी को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। 

आपने इंडिया VIX के बारे में सुना होगा या NSE की वेबसाइट पर देखा होगा इंडिया-VIX एक तरीके की आधिकारिक इंप्लाइड वोलैटिलिटी इंडेक्स है जिसे कोई भी देख सकता है। इंडिया- VIX गणित के फार्मूले पर आधारित है। इंडिया VIX की गणना कैसे की जाती है।

अगर आपको यह गणना समझना मुश्किल लग रहा है तो मैं इंडिया VIX की मुख्य बातें यहाँ आपको संक्षेप में बता रहा हूं 

NSE की ऑर्डर बुक में निफ़्टी ऑप्शन के जितने आर्डर होते हैं उसके आधार पर NSE इंडिया VIX की गणना करता है। 

नियर मंथ और नेक्स्ट मंथ के निफ्टी ऑप्शन कांट्रैक्ट के सबसे अच्छे बिड – आस्क रेट के आधार पर इंडिया VIX की गणना की जाती है। 

इंडिया VIX  हमें यह दिखाता है कि अगले कुछ समय तक (अगले 30 दिन तक) बाजार की वोलैटिलिटी को लेकर निवेशकों की उम्मीद क्या है। 

इंडिया विक्स की वैल्यू जितनी ज्यादा होगी बाजार में वोलैटिलिटी की उम्मीद उतनी ही ज्यादा होगी और इसी तरीके से इंडिया VIX  कम होने पर कम वोलैटिलिटी की उम्मीद होती है।   

जब बाजार में वोलैटिलिटी ज्यादा होती है तो बाजार तेजी के साथ चलते हैं और ऐसे समय में वोलैटिलिटी इंडेक्स ऊपर जाता है।

जब बाजार में वोलैटिलिटी कम होती है तो वोलैटिलिटी इंडेक्स नीचे जाता है।क्योंकि जब वोलैटिलिटी इंडेक्स  ऊपर जाता है तो लोग थोड़ा सावधान हो जाते हैं क्योंकि बाजार किसी भी दिशा में तेजी के साथ चल सकते हैं। ट्रेडर  वोलैटिलिटी इंडेक्स के आधार पर बाजार की वोलैटिलिटी का अनुमान लगाते हैं और उससे अपने निवेश का फैसला करते हैं। 

वोलैटिलिटी इंडेक्स बाजार के दूसरे इंडेक्स जैसे निफ्टी, निफ़्टी बैंक आदि से अलग होते हैं। निफ्टी बाजार की दिशा को बताता है और उसे अंडरलाइंग स्टॉक की कीमत पर आधार पर निकाला जाता है जबकि इंडिया VIX बाजार में वोलैटिलिटी की उम्मीद को दिखता  है और निफ्टी ऑप्शन के ऑर्डर बुक के आधार पर इसकी गणना होती है। निफ्टी में एक संख्या होती है जबकि इंडिया VIX  एक एनुअलाइज्ड प्रतिशत के तौर पर दिखाया जाता है।

निफ्टी हर तरीके के ऑप्शन के लिए अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस उसके की इंप्लाइड वोलैटिलिटी को बताता है। आप इस इंप्लाइड वोलैटिलिटी को निकालने के लिए ऑप्शन चेन को देख सकते हैं। यहां पर HDFCBANK के ऑप्शन चेन को उदाहरण के तौर पर दिखाया गया है, जिसमें हम इसके इंप्लाइड वोलैटिलिटी को दिखा रहे हैं। 

आप का हामरी लर्निंग वेबसाइट में विजिट करने के लिए सुक्रिया उम्मीद है इस चैपटर में कुछ आप अच्छा सीखे होंगे, इसका फीडबैक आप फीडबैक सेक्शन में जरूर दे जिससे हम इस लर्निंग वेबसाइट में और बेहतरीन कंटेंट आपको दे सके। 

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